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भारत के सभी शोषित वर्ग ( SC, ST, OBC, CONVERTED MINORITIES) के पूर्वज बौद्ध थे।

भारत के सभी शोषित वर्ग ( SC, ST, OBC, CONVERTED MINORITIES) के पूर्वज बौद्ध थे।
भारत में बौद्ध धर्म का जन्म ईसा पूर्व ६ वी शताब्दी को हुआ था किन्तु कालक्रम में भारत से बौद्ध धम्म लगभग समाप्त हो गया जबकि विश्व के अन्य भागों में बौद्ध धम्म का प्रसार एवं विकास होता रहा। बौद्ध धम्म का विकास ईसा पूर्व ६ वी शताब्दी से प्रारम्भ होकर, सम्राट अशोक के साम्राज्य तक, राज्यधर्म के रूप मे होता रहा।
वह समस्त भारत में ही नहीं- चीन, जापान, स्याम, लंका, अफगानिस्तान और एशिया के पश्चिमी देशों तक फैल गया। सम्राट् अशोक जैसा इतिहास प्रसिद्ध सम्राट् ने कलिंग युद्ध के पश्चात उसके बौद्ध धम्म ग्रहण करने पर इसे राजधर्म बना दिया गया।
बौद्धकाल में ना केवल वृहद विकास का दौर देखा है अपितु सशक्त प्रथम केन्द्रिय सत्ता भी देखी है। ईस काल मे भारतवर्ष् अध्यात्म एवम ज्ञान का केन्द्र बन गया था। बौद्ध धम्म के तीव्र विस्तार से उस समय धार्मिक एवम राजनैतिक के अतिरिक्त आर्थिक विकास भी खूब हुआ।
तक्षशिला विश्वविद्यालय, नालन्दा विश्वविधालय के कारण भारत शिक्षा का मुख्य केंद्र था।
भारत में बौद्ध धम्म के पतन के अनेक कारण गिनाये जाते हैं।
१ आन्तरिक कारण - कुछ विद्वानों के कथनानुसार भारतवर्ष से बौद्ध धम्म के लोप हो जाने का कारण 'ब्रह्मणों का विरोध' ही था। बौद्ध धम्म के पुर्व #ब्राम्हण वैदिक धर्म का पालन करते थे अत्ः बौद्ध धम्म का आगमन एक प्रकार से #ब्राम्हण धर्म के विरुध्द एक क्रान्ति थी।
मौर्यकाल मे चुकि सम्राट अशोक ने बौध्द धम्म को अपना राजधर्म बना लिया था अतः इसके आचरणानुसार वैदिक बलिप्रथा पर रोक लगा दी थी जिससे बौद्ध धर्म का काफी विस्तार हुआ।
प्रतिक्रान्ति स्वरुप पुष्यमित्र शुंग(ब्राह्मण) मौर्य स्मराज्य के दसवे शासक ब्रह्दथ मौर्य की धोखे से हत्या कर दी जबकि वह सेनापति था। फिर उसने इस गद्दारी से सत्ता हथियाई और पुन: वैदिक धर्म का पालन शुरू करवाया।
अशोक ने पुरे जम्बूद्विप मे लगभग ८४००० हजार स्तुप बनवाये थे जिसमे साची, सारनाथ ईत्यादि थे। पुश्यमित्र शुंग को बुद्धिस्टो से शत्रुता रखने वाला माना जाता है जिसने बुध्दिस्टो के शास्त्र जलाए तथा भिक्खुओ का नरसन्हार किया। एक भिक्षु के सर कलम पर उसने 100 सोने की मुद्राएं इनाम रखी थी विहारों, स्तुपो को नष्ट करने का कार्य किया।
अपनी गलती का कुपरिणाम भोगकर #ब्राह्मण जब पुनः
सँभले तो वे बौद्ध धर्म की बातों को हि अपने शास्त्रों में डाल कर बतलाने लगे और अपने अनुयायियों को उनका उपदेश देने लगे।" बौद्ध धम्म का मुकाबला करने के लिए हिंदू धर्म के विद्वानों ने प्राचीन कर्मकांड के स्थान पर ज्ञान- मार्ग और भक्ति- मार्ग का प्रचार करना आरंभ किया। कहा जाता है मनुसमृति की रचना इसी के शासन काल में हुई।
कुमारिल भट्ट और शंकराचार्य जैसे विद्वानों ने मीमांसा और वेदांत जैसे दर्शनों का प्रतिपादन करके बौद्ध धम्म के तत्त्वज्ञान को दबाया और रामानुज, विष्णु स्वामी आदि वैष्णव सिद्धांत वालों ने भक्ति- मार्ग द्वारा बौद्धों के व्यवहार- धर्म से बढ़कर प्रभावशाली और छोटे से छोटे व्यक्ति को अपने भीतर स्थान देने वाला विधान को प्रचारित किया। साथ ही अनेक हिंदू राजा भी इन धर्म- प्रचारकों की सहायतार्थ खडे़ हो गए। इस सबका परिणाम यह हुआ कि जिस प्रकार बौद्ध धम्म अकस्मात् बढ़कर बडा़ बन गया और देश भर में छा गया, उसी प्रकार जब वह निर्बल पड़ने लगा, तो उसकी जड़ उखड़ते भी देर न लगी।
२. बाह्य कारण - इसके अन्तर्गत मध्य एशिया से आये श्वेत हुण तथा मंगोल, मुस्लिम शासक मुहम्मद बिन कासिम, मेह्मुद गजनवी तथा मोह्म्मद गौरी ईत्यादि को माना जा सकता है। भारत के उत्तरी पूर्व भाग से आने वाले श्वेत हुण तथा मंगोलो के आक्रमनो से भी बौद्ध धर्म को बहुत हानि हुई। मुहम्मद बिन कासिम का सिन्ध पर आक्रमण करने से भारतीयो का पहली बार् इस्लाम से परिचय हुआ। चुकि सिन्ध का शासक दाहिर एक, बौद्धीस्ट प्रजा पर शासन करनेवाला अलोकप्रिय शासक था, अत्ः राजा दाहिर को मुहम्मद ने हरा दिया। मेह्मुद गजनवी ने १० वी शताब्दी ईसवी मे बुद्धिस्ठ एवम ब्राम्हण दोनो धर्मो के धार्मिक स्थलो को तोडा एवम सम्पुर्ण पंजाब क्षेञ पर कब्जा कर लिया।
इस प्रकार से बहुत से बौद्ध नेपाल एवम तिब्बत की ओर चले गये।
ईरान प्लातु पर हलाकु खान ने अपना साम्राज्य बनाया जिसमे हलाकु के पुत्र #अरघुन ने बौद्ध धम्म अपना कर इसे अपना राजधर्म बनाया था। उसने मुस्लिमो की मस्जिदो को तोड्कर स्तुप निर्माण कराये थे। बाद मे उस्के पुत्र ने फिर से इस्लाम को अपना राजधर्म बना लिया।
उक्त विश्लेषण पढ़ने से ज्ञात होता है कि पूर्व में भारत में रहने वाले बहुसंख्यक आबादी बौद्ध ही थी किन्तु पुष्यमित्र शुंग के बर्बर अत्याचार से बौद्ध धम्म का पतन हुआ और बौद्ध अनुयायी शुंग शासन के दास, गुलाम बन गए। बहुत से बौद्ध उपासक एंव भिक्षु सीमावर्ती देशो में भाग गए। पेशवा राज में छुआ-छूत चरम पर पहुँच गया अमानवीयता की हद पार हो गई मुगल शासको के आक्रमण पर यही छुआ-छूत एंव ब्राह्मण अत्याचारो से पीडितो ने मुस्लिम धर्म स्वीकारा।
उक्त संक्षिप्त विश्लेषण से स्पष्ट है कि भारत की बहुसंख्यक जनता बौद्ध ही थी। किन्तु प्रतिक्रांति की वजह से वे अपना मूल धर्म छोड़ने के लिए विवश हुई।
आज जो अनुसूचित जाति-जनजाति, पिछड़ा वर्ग एंव धर्म परिवर्तित अल्पसंख्यक है उनके ही पूर्वज बौद्धों का नरसंहार हुआ था।
#सभार विकिपीडिया
भारत में बौद्ध धर्म का पतन - विकिपीडिया
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