पेरियार ने ब्राह्मण धर्म ग्रंथो की होली जलाई और रावण को नायक माना
17 सितम्बर, 1879-24 दिसम्बर, 1973 बीसवीं सदी के तमिलनाडु के एक प्रमुख राजनेता थे। इन्होने जस्टिस पार्टी का गठन किया जिसका सिद्धान्त रुढ़िवादी हिन्दुत्व का विरोध था। हिन्दी के अनिवार्य शिक्षण का भी उन्होने घोर विरोध किया। भारतीय तथा विशेषकर दक्षिण भारतीय समाज के शोषित वर्ग को लोगों की स्थिति सुधारने में इनका नाम शीर्षस्थ है। इनका जन्म परम्परावादी हिन्दू परिवार में हुआ था। उनके घर पर भजन तथा उपदेशों का सिलसिला चलता ही रहता था। बचपन से ही वे इन उपदशों में कही बातों की प्रामाणिकता पर सवाल उठाते रहते थे। हिन्दू महाकाव्यों तथा पुराणों में कही बातों की परस्पर विरोधी तथा बेतुकी बातों का माखौल भी वे उड़ाते रहते थे। बाल विवाह, देवदासी प्रथा, विधवा पुनर्विवाह के विरूद्ध अवधारणा, स्त्रियों तथा दलितों के शोषण के पूर्ण विरोधी थे। उन्होने हिन्दू वर्ण व्यवस्था का भी बहिष्कार किया।
१९०४ में पेरियार ने एक ब्राह्मण, जिसका कि उनके पिता बहुत आदर करते थे, के भाई को गिरफ़्तार करने के लिए न्यायालय के अधिकारियों की मदद की। इसके लिए उनके पिता ने उन्हें लोगों के सामने पीटा। इसके कारण कुछ दिनों के लिए पेरियार को घर छोड़ना पड़ा। पेरियार काशी चले गए। वहां निःशुल्क भोज में जाने की इच्छा होने के बाद उन्हें पता चला कि यह सिर्फ ब्राह्मणों के लिए था। ब्राह्मण नहीं होने के कारण उन्हे इस बात का बहुत दुःख हुआ और उन्होने हिन्दुत्व के विरोध की ठान ली। वे फिर नास्तिक बन गए इसके बाद जल्द ही वे अपने शहर के नगरपालिका के प्रमुख बन गए। केरल के कांग्रेस नेताओं के निवेदन पर उन्होने वाईकॉम आन्दोलन का नेतृत्व भी स्वीकार किया जो मन्दिरों कि ओर जाने वाली सड़कों पर दलितों के चलने की मनाही को हटाने के लिए संघर्षरत था। उनकी पत्नी तथा दोस्तों ने भी इस आंदोलन में उनका साथ दिया।
कांग्रेस का परित्याग:
युवाओं के लिए कांग्रेस द्वारा संचालित प्रशिक्षण शिविर में एक ब्राह्मण प्रशिक्षक द्वारा गैर-ब्राह्मण छात्रों के प्रति भेदभाव बरतते देख उनके मन में कांग्रेस के प्रति विरक्ति आ गई। उन्होने कांग्रेस के नेताओं के समक्ष दलितों तथा पीड़ितों के लिए आरक्षण का प्रस्ताव भी रखा जिसे मंजूरी नहीं मिल सकी। अंततः उन्होने कांग्रेस छोड़ दिया। दलितों के समर्थन में १९२५ में उन्होने एक आंदोलन भी चलाया।
फिर इन्होने जस्टिस पार्टी, जिसकी स्थापना कुछ गैर ब्राह्मणों ने की थी, का नेतृत्व संभाला। १९४४ में जस्टिस पार्टी का नाम बदलकर द्रविड़ कड़गम कर दिया गया। फिर डी एम के (द्रविड़ मुनेत्र कळगम) पार्टी का उदय हुआ। १९३७ में राजाजी द्वारा तमिलनाडु में आरोपित हिन्दी के अनिवार्य शिक्षण का उन्होने घोर विरोध किया और बहुत लोकप्रिय हुए। उन्होने अपने को सत्ता की राजनीति से अलग रखा तथा आजीवन दलितों तथा स्त्रियों की दशा सुधारने के लिए प्रयास किया।
पेरियार एशिया महाद्वीप के सुकरात कहे जाते है उनके तर्कवादी एंव क्रान्तिकारी विचारो ने पुरे भारत में द्रविड़ आंदोलन को ऐतिहासिक बना दिया।
पेरियार के कुछ क्रांतिकारी विचार:
• ब्राह्मण हमे अंधविश्वास में निष्ठा रखने के लिए तैयार करता है | और स्वयं आरामदायक जीवन जी रहा है, तथा तुम्हे अछूत कहकर निंदा करता है | देवता की प्रार्थना करने के लिए दलाली करता है | मै इस दलाली की निदा करता हूँ| और आपको भी सावधान करता हू की ऐसे ब्राहमणों का विस्वास मत करो |
• ब्राहमणों के पैरों में क्यों गिरना ? क्या ये मंदिर है ? क्या ये त्यौहार है ? नही , ये सब कुछ भी नही है | हमें बुद्धिमान व्यक्ति कि तरह व्यवहार करना चाहिए यही प्रार्थना का सार है |
• ब्राहमणों ने हमें शास्त्रों ओर पुराणों की सहायता से गुलाम बनाया है | और अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए मंदिर, ईश्वर,और देवि -देवताओं की रचना की |
• ब्राहमणों ने हमें शास्त्रों ओर पुराणों की सहायता से गुलाम बनाया है | और अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए मंदिर, ईश्वर,और देवि -देवताओं की रचना की |
• सभी मनुष्य समान रूप से पैदा हुए है , तों फिर अकेले ब्राह्मण उच्च व अन्यों को नीच कैसे ठहराया जा सकता है?
• आप ब्राह्मणों के जल में फसे हो. ब्राह्मण आपको मंदिरों में घुसने नही देते ! और आप इन मंदिरों में अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई लूटाते हो ! क्या कभी ब्राहमणों ने इन मंदिरों, तालाबो या अन्य परोपकारी संस्थाओं के लिए एक रुपया भी दान दिया ?
• हमारे देश को आजादी तभी मिल गई समझाना चाहिए जब ग्रामीण लोग, देवता ,अधर्म, जाति और अंधविस्वास से छुटकारा पा जायेंगे |
• आप ब्राह्मणों के जल में फसे हो. ब्राह्मण आपको मंदिरों में घुसने नही देते ! और आप इन मंदिरों में अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई लूटाते हो ! क्या कभी ब्राहमणों ने इन मंदिरों, तालाबो या अन्य परोपकारी संस्थाओं के लिए एक रुपया भी दान दिया ?
• हमारे देश को आजादी तभी मिल गई समझाना चाहिए जब ग्रामीण लोग, देवता ,अधर्म, जाति और अंधविस्वास से छुटकारा पा जायेंगे |
• आज विदेशी लोग दूसरे ग्रहों पर सन्देश और अंतरिक्ष यान भेज रहे है और हम ब्राहमणों के द्वारा श्राद्धो में परलोक में बसे अपने पूर्वजो को चावल ओर खीर भेज रहे है | क्या ये बुद्धिमानी है ?
• नास्तिकता मनुष्य के लिए कोई सरल स्तिथि नहीं है, कोई भी मुर्ख अपने आप को आस्तिक कह सकता है, ईश्वर की सत्ता स्वीकारने में किसी बुद्धिमत्ता की आवश्यकता नहीं पड़ती, लेकिन नास्तिकता के लिए बड़े साहस और दृढ विश्वास की जरुरत पड़ती है, यह स्तिथि उन्ही लोगो के लिए संभव है जिनके पास तर्क तथा बुद्धि की शक्ति हो।
सन्दःर्भ विकिपीडिया एंव पेरियार साहित्य का अंश https://hi.wikipedia.org/s/r75
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भारतीय मूलनिवासियों की पसंद हैं ये राजनेता, जो उनके हितों के लिये सम्पूर्ण जीवन संघर्षरत रहे।
ReplyDeleteएकदम सत्य वचन दिया है।
ReplyDeleteTruthful
ReplyDeleteJAi Bhim Namo Buddha
ReplyDeletePeriyar E. V. Ramasamy was a great man i also write a
https://buddhaanddhamma.blogspot.com/2019/12/periyar-e-v-ramasamy-and-wife.html
Gadha tha ye Periyar jalankhor kahin ka
ReplyDeleteCorrect
Deleteपेरियार अफ्रीकी मलेच्छ था।मलेच्छो का मकसद ही है भारतीय संस्कृति को खत्म करना।
ReplyDeleteI like this Wikipedia
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