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गुजरात से जातिवादी आतंकियो के खिलाफ आत्मसम्मान की क्रांति शुरू

सुरेंद्र नगर(गुजरात): आज एक बहुत ही आश्चर्यचकित खबर सामने आई जब मृत गायो से भरे ट्रक-ट्रक्टर जिला अधिकारी के कार्यालय पहुँचे। और वरिष्ट अधिकारियो को सूचित किया गया की यह मृत गायें गौ रक्षको या कथित उनके बेटो को सौप दिए जाए ताकि वे अपनी माँ का विधिविधान के साथ ब्राह्मणों को आमन्त्रित कर अंतिम संस्कार कर सके।

In Association with Amazon.in गौरतलब हो की विगत दिनों जातिवादी आतंकियो द्वारा चार अनुसूचित जाति के युवको को बिच चौराहे में पुलिस थाने के सामने पुलिस की देख रेख में सरेआम बर्बरता पूर्वक पिटाई की गईगई उन्हें नंगा करके बाजार में बंधक बना कर घुमाया गया जिससे पुरे देश के अनुसूचित जाति,जनजाति एंव प्रगतिशील नागरिक आक्रोशित होहो गए और सभी ने अपने-अपने स्तर पर इस अमानवीय मनुवादी हरकत की निंदा की विरोध प्रदर्शन किया।

ताजा घटना उसी की प्रतिक्रियाँ है इसका सोशल मिडिया में बहुत स्वागत हो रहा है लोग नए-नए व्यंग भी बना कर ब्राह्मणवादी व्यवस्था का मखौल उड़ा रहे है। 

ज्ञात हो की 14 ऑक्टूबर 1956 को नागपुर की दीक्षा भूमि में लगभग 8 लाख लोगो के जनसैलाब के साथ भारत रत्न डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने हिन्दू धर्म की इन्ही अमानवीय कुप्रथाओ के चलते दुनियां को शांति, भाईचारे का सन्देश देने वाले धम्म को स्वीकार कर लिया गया उस वक्त बाबासाहेब ने अपने समर्थको को 22 प्रतिज्ञाएँप्रतिज्ञाएँ दी गई थी जिसका पालन यदि यह शोषित वर्ग करता तो यह जातिवादी जुल्म, आतंकवाद कभी नही होताहोता किन्तु अफसोश शिक्षित वर्ग आज ज्यादा ही मनुवादियों का गुलाम बना हुआ है उसे उसकी गुलामी का एहसास भी नही होता है। क्योकि की वह अपनी गुलामी से अनजान है।

आज जो प्रतिक्रियां गुजरात में घटित हुई है यदि वह पुरे देश में हो जाए तो समझिये बाबासाहेब का समाजिक मिशन अपने सही राह पर चल रहा है। 

डॉ. बी आर अम्बेडकर द्वारा धम्म परिवर्तन के अवसर पर अनुयायियों को दिलाई गयीं  22 प्रतिज्ञाएँ निम्नलिखित है:

मैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश में कोई विश्वास नहीं करूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा
मैं राम और कृष्ण, जो भगवान के अवतार माने जाते हैं, में कोई आस्था नहीं रखूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा
मैं गौरी, गणपति और हिन्दुओं के अन्य देवी-देवताओं में आस्था नहीं रखूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा.
मैं भगवान के अवतार में विश्वास नहीं करता हूँ
मैं यह नहीं मानता और न कभी मानूंगा कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार थे. मैं इसे पागलपन और झूठा प्रचार-प्रसार मानता हूँ
मैं श्रद्धा (श्राद्ध) में भाग नहीं लूँगा और न ही पिंड-दान दूँगा.
मैं बुद्ध के सिद्धांतों और उपदेशों का उल्लंघन करने वाले तरीके से कार्य नहीं करूँगा
मैं ब्राह्मणों द्वारा निष्पादित होने वाले किसी भी समारोह को स्वीकार नहीं करूँगा
मैं मनुष्य की समानता में विश्वास करता हूँ
मैं समानता स्थापित करने का प्रयास करूँगा
मैं बुद्ध के आष्टांगिक मार्ग का अनुशरण करूँगा
मैं बुद्ध द्वारा निर्धारित परमितों का पालन करूँगा.
मैं सभी जीवित प्राणियों के प्रति दया और प्यार भरी दयालुता रखूँगा तथा उनकी रक्षा करूँगा.
मैं चोरी नहीं करूँगा.
मैं झूठ नहीं बोलूँगा
मैं कामुक पापों को नहीं करूँगा.
मैं शराब, ड्रग्स जैसे मादक पदार्थों का सेवन नहीं करूँगा.
मैं महान आष्टांगिक मार्ग के पालन का प्रयास करूँगा एवं सहानुभूति और प्यार भरी दयालुता का दैनिक जीवन में अभ्यास करूँगा.
मैं हिंदू धर्म का त्याग करता हूँ जो मानवता के लिए हानिकारक है और उन्नति और मानवता के विकास में बाधक है क्योंकि यह असमानता पर आधारित है, और स्व-धर्मं के रूप में बौद्ध धर्म को अपनाता हूँ
मैं दृढ़ता के साथ यह विश्वास करता हूँ की बुद्ध का धम्म ही सच्चा धर्म है.
मुझे विश्वास है कि मैं फिर से जन्म ले रहा हूँ (इस धर्म परिवर्तन के द्वारा).
मैं गंभीरता एवं दृढ़ता के साथ घोषित करता हूँ कि मैं इसके (धर्म परिवर्तन के) बाद अपने जीवन का बुद्ध के सिद्धांतों व शिक्षाओं एवं उनके धम्म के अनुसार मार्गदर्शन करूँगा.

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