पचमढ़ी(म.प्र) बौद्ध स्थल है पांडव गुफ़ाएँ नही है।
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पचमढ़ी: एक छोटी पहाड़ी पर यह पांच प्राचीन गुफाएं बनी हैं। इन्हीं पांच गुफाएं के कारण ही इस स्थान को पंचमढ़ी कहा जाता है। यह मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले से लगभग 150 Km दूर है।
कहा जाता है पांडव अपने वनवास के दौरान यहां ठहर थे। सबसे साफ सुथरी और हवादार गुफा को द्रोपदी कुटी कहा जाता है जबकि सबसे अंधेरी गुफा भीम कोठरी के नाम से लोकप्रिय है।
पुरातत्वेत्ताओं का मानना है कि इन गुफाओं को 9वीं और 10 वीं शताब्दी में गुप्त काल के दौरान बौद्धों द्वारा बनवाया गया था।
स्पष्ट है मौर्य साम्राज्य के अंत के बाद पुष्यमित्र शुंग द्वारा बौद्धों का कत्लेआम हुआ, बौद्ध स्तूप ध्वस्त किए गए जो बचे उसे काल्पनिक कहानियाँ बना कर कब्जा किया गया। बौद्धों के ऐतिहासिक धरोहरो को क्रमानुसार नष्ट किया गया।
सम्राट अशोक ने 84000 बौद्ध स्तूप बनाएँ थे आज उनका अस्तित्व नजर क्यों नही आता?
बुद्ध का जन्म स्थान शाक्य वंश का राज महल या मौर्यकालीन सभ्यता, स्मारक किसने खोजा?
जवाब ब्रिटिश इतिहासकारो ने एंव पुरातत्वविदों द्वारा।
प्रश्न यह उठता है की भारतीय इतिहासकारो ने यह हमसे क्यों छुपा कर रखा?
भारतीय इतिहासकार किस वर्ग से सम्बंधित रखते थे?
सिंधु घाटी, हड़प्पा संस्कृति की सभ्यता भी बौद्धों का गौरवान्वित इतिहास है यह अब सिद्ध हो चूका है।
सिंधु घाटी, हड़प्पा संस्कृति की सभ्यता भी बौद्धों का गौरवान्वित इतिहास है यह अब सिद्ध हो चूका है।
आर्यो के आक्रमण के बाद भारतीय संस्कृति घृणित की गई मानव-मानव में भेदभाव पैदा किया गया।
इतिहास क्या है यह जानना है तो ज्योतिबाफुले एंव डॉ. अम्बेडकर के साहित्य को पढ़िए।
यदि आप अध्ययन नही करेंगे तो हमारे स्वर्णिम इतिहास को यह मनुवादी सरकार के नेतृत्व में धीरे-धीरे नष्ट किया जायेगा।
यदि आप अध्ययन नही करेंगे तो हमारे स्वर्णिम इतिहास को यह मनुवादी सरकार के नेतृत्व में धीरे-धीरे नष्ट किया जायेगा।
जो मनुष्य अपना इतिहास नही जनता वह नया इतिहास नही बना सकता- डॉ. अम्बेडकर
आप का परिचय आपको होना चाहिए ऐसा मेरा मानना है इसलिए मुझे बुद्ध का वचन याद आता है कि "कुछ मानने से पूर्व उसका परीक्षण कीजिये।"
यह लेख पूर्णतः सत्य है या नही यह आप के विवेक पर निर्भर है इससे आप सहमत हो या न हो किन्तु यह पूर्णतः ऐतिहासिक साक्ष्यो पर आधारित संकलन है।
पढ़ो आगे बढ़ो!
सुरेश पासवान, महासचिव वी लव बाबासाहेब,
(आईटी एंव सोशल मिडिया संगठन)
सुरेश पासवान, महासचिव वी लव बाबासाहेब,
(आईटी एंव सोशल मिडिया संगठन)
-Buddhist places had been destroyed by the ante-Buddhist people and renamed it by fake names.
ReplyDeleteAgree
DeleteLack of any strong representation among Buddhists have resulted in no voice before a biased and majoritarian government which is keen to establish only its own religious domination in the country by destroying all the evidence of Buddhist history. Because they do not have monuments as old as Buddhists so they will modify twist and destroy.
ReplyDeletenice very nice
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