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यह लेख उनके लिए है जो गाय की योनि से नही जन्मे है अर्थात मनुष्य ही पढ़े


यह लेख उनके लिए है जो गाय की योनि से नही जन्मे है अर्थात मनुष्य ही पढ़े वे अवश्य पढ़े जो अपने आपको ब्राह्मण की औलाद समझते है किन्तु है शुद्र, दलित, ढोर, गवार, हरिजन आदि आदि हरिजन का अर्थ पता है? देवदासियों के पुत्र इसकी चर्चा बाद में करेंगे अभी का मुद्दा गुजरात है जहाँ राम राज है अर्थात बीजेपी का राज वहाँ पुलिस स्टेशन के सामने #जातिवादीआतंकवादी  का उदाहरण पेश किया है।


आप लोगो ने वीडियो तो देखा ही होगा अब चर्चा बाबासाहेब की पढ़िए..
भारत देश के लोग हमेशा बाबा साहेब के ऋणी रहेंगे, बाबा साहेब को काफी लम्बा समय बीत चुका था बहुजन समाज के अधिकारों की लड़ाई लड़ते-लड़ते पर सवर्णों का दिल नहीं पसीजा l अतः उन्हें लगा की धर्म परिवर्तन ही इसका निदान हो सकता है, और उन्होंने अछूतों की दयनीय दशा का जिम्मेदार हिन्दू धर्म को ठहराया और अपने विषय में घोषणा की, "मैं हिन्दू धर्म में पैदा हुआ हूँ, जो मेरे वश की बात नहीं थी, परन्तु हिन्दू धर्म में मरूँगा नहीं, यह मेरे वश की बात है l "
धर्म परिवर्तन की घोषणा के पश्चात् मुस्लिम, ईसाई और सिख धर्म-पंथों की और से निमंत्रण मिलने लगे, बनारस की महाबोधि संस्था ने भी अम्बेडकर जी को अपने अनुयायियों सहित एशिया के महत्वपूर्ण धम्म- बौद्ध धम्म में दीक्षित होने का निमंत्रण दिया l इस पर विचार करने के लिए सन 1936 में एक सभा का आयोजन भी किया गया, युवा अछूतों की सभा में सब इस बात पर एक मत से सहमत थे कि शीघ्र-अति-शीघ्र असंगठित हिन्दू धर्म को छोड़ देना चाहिए l
'धर्म मनुष्य के लिए है, मनुष्य धर्म के लिए नहीं l ' अम्बेडकर जी ने हिन्दू देवताओं की पूजा, हिन्दू त्योहार, व हिन्दुओं की तीर्थ यात्रा करने से मना कर दिया l
लोकनाथ नामक एक इटालियन बौद्ध ने अम्बेडकर जी से भेंट कर बौद्ध धम्म स्वीकारने का आग्रह किया l बौद्ध धम्म का काफी अध्ययन करने के पश्चात् बाबा साहेब ने 1950 में एक महत्वपूर्ण लेख लिखा l बाबा साहेब डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने कहा की बौद्ध धम्म नैतिकता पर आधारित है क्योकि बुद्ध ने अपने आप को पैगम्बर या देव नहीं, मार्गदाता कहा है l बौद्ध धम्म स्वतंत्रता, समता व बंधुत्व पर आधारित है l उन्होंने कहा बौद्ध धम्म के प्रचार के लिए आधारभूत ग्रन्थ चाहिए l
डॉ. बाबा साहब अम्बेडकर के १९३५ में हिन्दू धर्म छोडने की इस घोषणा के २१ वर्ष बाद १४ अक्टूबर, १९५६ को नागपुर में अपने पाँच लाख अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म की दीक्षा ले ली।
अब वक्त आ गया है आप बुद्ध, फुले, साहूजी, नारायनागुरु, बिरसा, पेरियार और अम्बेडकर साहेब का गहन अध्ययन करे अन्यथा ये पेशवा की औलादे आतंकवादी हरकते करती रहेंगी।
Ambedkar books in hindi
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