जातिव्यवस्था की नींव जिस धार्मिक विश्वास पर खड़ी है उसे डाइनामाइट लगा कर उड़ा देना चाहिए।
जातिवाद ने भारत का अनगिनत नुकसान किया ।
भारत के लोग जाति समर्थक हैं और जाति समर्थक लोग ही राष्ट्रप्रेम का सर्टीफिकेट देने का काम करते हैं।
इस विषय पर डॉ. अम्बेडकर का कहना है कि " जातिविहीन समाज व्यवस्था की चाह और उसके प्रयास में भारत के लोगों की उदासीनता के कारण प्राचीन संस्कृति लुप्त हो गयी। जातिव्यवस्था की नींव जिस धार्मिक विश्वास पर खड़ी है उसे डाइनामाइट लगा कर उड़ा देना चाहिए। जाति को डॉ. अम्बेडकर पॉइजन मानते थे यह सामाजिक बुराइयों का संग्रह मात्र है।
आदर्श समाज बनाना है तो जाति विहीन समाज की परिकल्पना करनी होगी और इसे धरातल पर रखना होगा तभी स्वस्थ समाज तैयार होगा।"
भारत के लोग जाति समर्थक हैं और जाति समर्थक लोग ही राष्ट्रप्रेम का सर्टीफिकेट देने का काम करते हैं।
इस विषय पर डॉ. अम्बेडकर का कहना है कि " जातिविहीन समाज व्यवस्था की चाह और उसके प्रयास में भारत के लोगों की उदासीनता के कारण प्राचीन संस्कृति लुप्त हो गयी। जातिव्यवस्था की नींव जिस धार्मिक विश्वास पर खड़ी है उसे डाइनामाइट लगा कर उड़ा देना चाहिए। जाति को डॉ. अम्बेडकर पॉइजन मानते थे यह सामाजिक बुराइयों का संग्रह मात्र है।
आदर्श समाज बनाना है तो जाति विहीन समाज की परिकल्पना करनी होगी और इसे धरातल पर रखना होगा तभी स्वस्थ समाज तैयार होगा।"
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