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देश और छत्तीसगढ़ में लगता है अंग्रेजो की सरकार है?


जब अंग्रेजो का शासन था सायद तब यह घटना घटित होती तब आश्चर्य नही होता किन्तु स्वतन्त्र भारत में जब देश के नागरिको का घर जलाया जाता तब तो यह लग रहा है की अंग्रेजो या विदेशियो का शासन चल रहा है। नक्सली क्यों बनते है आदिवासी इसका जवाब यह अमानवीय घटना है।
 पट्टा नहीं था, बारिश में ही आदिवासियों को जंगल से खदेड़ा, झोपड़ियों में लगाई आग

नगरी ब्लाक के ग्राम कुसुमभर्री-बटनहर्रा, महामल्ला जंगल में 20 दिन पहले दो दर्जन आदिवासी परिवार पहुंचे और जंगल में झोपड़ी बनाकर वहीं जीवन-यापन में जुट गए। जैसे ही इसकी सूचना वन विभाग को मिली कि बिना वन अधिकार पट्टे के वे आदिवासी जंगल में रह रहे हैं, वैसे ही दलबल के साथ वन विभाग की टीम व पुलिस बल के साथ वहां पहुंची और बरसते पानी में आदिवासियों की झोपड़ियों में आग लगा दी। पीड़ित परिवारों के लोग गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन अधिकारियों ने उन्हें धमकी देकर भगा दिया। घटना को लेकर आदिवासी समाज में आक्रोश पनप रहा है। झोपड़ियों में आग लगाकर जंगल से खदेड़ने की यह जिले में पहली घटना है।

नगरी वन परिक्षेत्र के ग्राम बटनहर्रा पंचायत के कक्ष क्रमांक 277 व 291 में मंगलवार की देर-शाम नगरी रेंज के अधिकारियों के साथ बिरगुड़ी, दुगली व सांकरा परिक्षेत्र के रेंजर व कर्मचारी बड़ी संख्या में पुलिस बल के साथ पहुंचे। इस दौरान क्षेत्र में बारिश हो रही थी। बारिश जैसे ही कम हुई, अधिकारी गाड़ियों से उतरे और झोपड़ियों में मौजूद आदिवासियों को पुलिस बल की मदद से बाहर निकाल दिया। आदिवासियों को पुलिस ने घेरकर रखा। इस बीच वन अमले ने झोपड़ियों को आग के हवाले कर दिया।


यह तनशाही रवैया, कैसे मिलेगा आदिवासियों को हक?


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