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पिछड़ा वर्ग के युवा भी बुद्ध, फुले, अम्बेडकर के दिखाएँ राह पर

In Association with Amazon.in पिछड़ा वर्ग के युवा भी अब सच्चा इतिहास जान रहे है वे सोशल मिडिया के माध्यम से मनुवाद की मानसिक गुलामी की जंजीरो को तोड़ रहे उसी श्रेणी में एक नाम और शामिल हुआ है हरेराम भगत जो मधेपुरा, बिहार से ताल्लुक रखते है यह फेसबुक, व्हाटसप्प के अतिरिक्त धरातल पर भी सक्रिय है। इन्हें हम आप सभी से परिचय करा कर इनके समाजहित-राष्ट्रहित ईरादो को प्रोत्साहित कर रहे है।
हम महापुरुष किसे मानते है?
ऐसा व्यक्तित्व जिसने शोषित-पीड़ित मानवता के पक्ष में संघर्ष किया हो और इसका परिणाम यह हुआ कि यह दबी-कुचली मानवता सवतंत्र हो गई।
“जिस समाज का इतिहास नहीं होता है, वह समाज कभी भी शासक नहीं बन पाता है। जो समाज अपने इतिहास से भी सबक नहीं सिखाता है, वह समाज कभी भी शासक नहीं बन पाता है। जो समाज अपने बहुजन महापुरुषों के आंदोलन से भी सबक नहीं सिखाता है, वह समाज कभी भी शासक नहीं बन पाता है। जो समाज अपने महापुरुषों के उद्देश्य  स्वतंत्रता, समानता,नैतिकता, भाईचारा और न्याय को प्रस्थापित करने की कोशिश नहीं करता हैं, वह समाज कभी भी शासक नहीं बन पाता है, जो समाज अपने बहुजन महापुरुषों कि विचारधारा “बहुजन हीताय बहुजन सुखाय ” पर नहीं चलता है, वह समाज कभी भी शासक नहीं बन पाता है, क्योंकि अपने बहुजन महापुरुषों के आंदोलन के उद्देश्य और विचारधारा से प्रेरणा मिलती है, प्रेरणा से जागृति आती है, जागृति से सोच बनती है, सोच से ताकत बनती है, ताकत से शक्ति बनती है और शक्ति से शासक बनता है।"
हमारी समाजिक, धार्मिक, आर्थिक एंव राजनैतिक स्वतन्त्रता के प्रथम महापुरुष बुद्ध ही थे जिनकी राह पर चल कर अशोक, कबीर, रविदास, फुले, साहूजी, नारायणागुरु, पेरियार, बिरसा,राहुल सांकृत्यायन(पंडित दामोदर स्वामी), अम्बेडकर, कांशीराम, ने हमे मनुष्य कहलाने का हक दिलवाया किन्तु आज की शिक्षित युवा पीढ़ी अपने इतिहास को भूल गई है। यह महापुरुष सिर्फ अछूत वर्ग से थे ऐसा नही है। राहुल सांकृत्यायन ब्राह्मण जाति के थे किन्तु जब वे बुद्ध की शिक्षाओ से परिचित हुए वे एक महान बौद्ध कहलायें विलक्षण व्यक्तित्व के अद्भुत मनीषी, चिन्तक, दार्शनिक, साहित्यकार, लेखक, कर्मयोगी और सामाजिक क्रान्ति के अग्रदूत रूप में राहुल ने जिन्दगी के सभी पक्षों को जिया। 
ज्ञान-विज्ञान, दर्शन जाति, धर्म के बन्धनों से मुक्त है जो भी इसके प्रभाव में आया वह सत्य की राह पर आगे बढ़ते जाता है।
पिछड़ावर्ग के युवाओ की इस वैचारिक आंदोलन में हिस्सेदारी बहुत कम नजर आती है क्योकि वह मनुवाद से जकड़े हुऐ है वह मनुस्मृति की सच्चाई से मीलो दूर है
फिर भी आशा की कई किरणे नजर आ रही है इसी आशा की किरण का उभरता हुआ नाम हरेराम भगत है जो समाजिक, धार्मिक, राजनैतिक क्षेत्र में नई पहचान बना रहे है।
हम उनके समाजिक विचारो की क्रांति की कद्र करते है और आशा करते है कि वे अपने रचनात्मक गतिविधियो का लाभ सभी वर्गो को मिले।
मिलते है फिर किसी अन्य समाजिक बदलाव लाने में प्रयत्नशील किसी युवा से आपकी नजर में कोई युवा समाजिक रचनात्मक कार्यो में सलग्न हो तो आप हमे उनकी पूरी जानकारी दे।
जय भीम-जय प्रबुद्ध भारत।
हरेराम भगत

1 comment:

  1. BodhiSatva Mission magazine "Pichre Vargo ki Aawaj" me aapke vicharo ka swagat hai. Plz aap apna contact no. "email-bodhisatvamission@gmail.com" per digiye jis se magazine ke sandarbh me aapse bat ho sake?

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