भारत का स्वर्ण काल मौर्य साम्राज्य के दौर में ही था
एक कदम सत्य की ओर..
अनुसूचित जातियो, अनुसूचित जनजातियो एंव पिछड़ा वर्गो की मानसिक गुलामी की जंजीरो को तोड़ना मेरा प्रयास है। मुझे यह ज्ञात है पूर्ण विश्वास है जिस दिन इन शोषित वर्गो को हमारे बहुजन महापुरुषो का संघर्ष, त्याग-बलिदान के विषय में सच्चाई पता चल जायेगी उसी दिन से 85% नागरिक इस देश की शासक कौम बन कर उभरेगी-देश की मुख्यधारा में शामिल हो जायेगी।
गौरतलब है कि इन वर्गो को अपना गौरवशाली इतिहास ही पता नही है इन्हें धर्म के नाम पर मानसिक गुलाम बना कर रखा गया आज से 150 वर्ष पूर्व समाजिक क्रांति के अग्रदूत ज्योतिबाफुले ने #गुलामगिरी किताब लिख कर इस देश में समाजिक क्रांति की मशाल उठाई थी अफसोश आज का युवा अनभिज्ञ है।
विचारणीय तथ्य भारत का स्वर्ण काल मौर्य साम्राज्य के दौर में ही था अर्थात भारत सोने की चिड़िया इस शासन में कहलाया यह शासन 137 वर्ष चला इस दौर में जातिवाद, धार्मिक कट्टरता नही था।
भारत बौद्ध धम्म एंव जैन धर्म का मुख्य केंद्र बिंदु था 84000 बौद्ध स्तूप स्थापित थे, लाखो बौद्ध भिक्षु थे किन्तु अन्तिम मौर्य सम्राट वृहद्रथ की हत्या उसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने कर दी। इससे मौर्य साम्राज्य समाप्त हो गया।
भारत बौद्ध धम्म एंव जैन धर्म का मुख्य केंद्र बिंदु था 84000 बौद्ध स्तूप स्थापित थे, लाखो बौद्ध भिक्षु थे किन्तु अन्तिम मौर्य सम्राट वृहद्रथ की हत्या उसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने कर दी। इससे मौर्य साम्राज्य समाप्त हो गया।
फिर 84000 हजार बौद्ध स्तूप कहाँ गायब हो गए?
लाखो बौद्ध भिक्षु कहाँ गए?
करोड़ो बौद्ध उपासक-उपसिकाएँ कैसे भूल गए अपना मूल धम्म?
लाखो बौद्ध भिक्षु कहाँ गए?
करोड़ो बौद्ध उपासक-उपसिकाएँ कैसे भूल गए अपना मूल धम्म?
शासक वर्ग ने देश का झूठा इतिहास लिखा किन्तु सच्चाई छुप नही पाई कबीर, रविदास, ज्योतिबाफुले, शाहूजी, नारायणागुरु, पेरियार, बिरसा एंव बाबासाहेब ने इस देश का सच्चा इतिहास हमे बताया किन्तु शिक्षित वर्ग तक नही पहुँच सका। हम समाजिक क्रांति के इस वैचारिक आंदोलन को देश के कोने कोने तक पहुचायेंगे,हम बताएंगे सच्चा इतिहास!
क्या आप साथ हो?
लेख: सुरेश बौद्ध, महासचिव
वी लव बाबासाहेब, आईटी एंव सोशल मिडिया संगठन
वी लव बाबासाहेब, आईटी एंव सोशल मिडिया संगठन
Yes we should no about our history
ReplyDeletewe are buddhist
DeleteYes we should no about our history
ReplyDeleteयह सच है कि हमारे समाज के लोग अपना इतिहास नही पडते। जो सक्षम है वह टीवी आैर व वीवी में मस्त है। जो गरीब है वह पेट के लिए
ReplyDeleteएक तरफ गुजरात मे जहा लोग घर वापसी करते हुए लोग बौद्ध धर्म अपना रहे है वही मायावती राजनैतिक रोटिया सेक कर न स्वयं बौद्ध धर्म अपनाती है न उनके समर्थक वो चाहते है कि जनता गुलाम रहे ताकि दूसरे समाज के लोग उन्हे प्रताणित करते रहे
ReplyDeleteआपकी आपत्ति जायज है
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