बौद्ध धम्म का ऐतिहासिक छठवा अंतराष्ट्रीय भिक्षुणी दिवस
छठवा अंतराष्ट्रीय भिक्षुणी दिवस
भिक्षुणी संघ 17 सितंबर 2016 को 2600 वीं वर्षगांठ के लिए दुनिया भर में स्मरणोत्सव होगा। एक सौ साल पहले, भिक्षुणी संघ गायब हो गया था, लेकिन हाल के वर्षों में ऐतिहासिक बुद्ध दर्शन के कारण की चौगुना पुनरुद्धार देखा गया है।
बौद्ध महिलाओं के सक्याधित्या इंटरनेशनल एसोसिएशन 1980 के मध्य में भारत में बना पहली सभा में, दलाई लामा, ने अपने उद्बोधन में भिक्षुणी समन्वय, की बात की थी। भारत में अग्रणी बड़े थेरवाद भिखुओ ने सहमति भी जताई ।
बौद्ध महिलाओं के सक्याधित्या इंटरनेशनल एसोसिएशन 1980 के मध्य में भारत में बना पहली सभा में, दलाई लामा, ने अपने उद्बोधन में भिक्षुणी समन्वय, की बात की थी। भारत में अग्रणी बड़े थेरवाद भिखुओ ने सहमति भी जताई ।
सम्राट अशोक की बेटी संघमित्रा
सम्राट अशोक ने अपनी पुत्री को बौद्ध धम्म-प्रचार हेतु श्री लंका भेजा था। संघमित्रा बौद्ध धम्म ग्रहण के बाद अपने पिता से कहा कि क्या करना पड़ेगा? तब सम्राट अशोक ( पिता ) ने कहा , " बेटी, हमारे रास्ते पर चलना पड़ेगा " सम्राट अशोक की बेटी संघमित्रा पीपल वृक्ष लेकर धम्म प्रचार हेतु निकल पड़ीं बुद्ध विहार, महिलाओं के क्रिया- कलाप, महिलाओं के संगठन, महिलाओं के विहार संघमित्रा ने बहुत कार्य किये।
20वीं सदी भिक्षुणी संघ का पुनरुद्धार का दौर
श्रीलंका और भारत में थेरवाद भिक्षुणी संघ का पुनरुद्धार देखा गया। 21 वीं सदी की शुरुआत से, थेरवाद बौद्ध धर्म में भिक्षुणी शिक्षकों की संख्या बढ़ रही है। पहले दशक में भिक्षुणी की उपस्थिति, और संघ में बौद्ध महिलाओं की भूमिका अच्छी रही श्रीलंका में भिक्षुणियो की संख्या 1,000 से अधिक तक पहुंच गई, थाईलैंड और अमेरिका में भी संख्या थेरवाद भिक्षुणी शिक्षकों की संख्या बढ़ रही है।
पश्चमी देशो में भिक्षुणी संघ
पश्चिम में थेरवाद भिक्षुणी संघ के लिए समर्पित समुदायों की संख्या वृद्धि पर है, चाहे भिक्खु मठों जैसे धम्मसरा नन मठ और पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में बौद्धयाना मठ के रूप में, स्वतंत्र भिक्षुणी विहारसन्द आरमस धम्मधरिणी, आलोक विहार वन के रूप में के साथ जुड़े भिक्षुणी मठों अमेरिका, और महाप्रजापति मठ, कनाडा में सती सरयना आश्रम, जर्मनी में अनिंजा विहार, और ऑस्ट्रेलिया में सैंटी वन मठ, और पश्चिम में पहले दोहरे संघ मठ, ऑस्ट्रेलिया में न्यूबरी बौद्ध मठ। पिछले दो वर्षों में, थाईलैंड में बांग्लादेश के प्राचीन भिक्षुणी संघ के पुनरुद्धार हुआ है और पहली सार्वजनिक थेरवाद bhikkhuni ordinations भी देखा गया है। जर्मनी, और इंडोनेशिया, जैसे स्थानों में पहली बार bhikkhuni aramas खुला । पिछले कुछ वर्षों में उत्तरी अमेरिका में भिक्षुणी संघ के पक्ष में लोग आगे आये हैं या यू कहिये लोगों का रुझान देखने को मिला है कैलिफोर्निया में दो भिक्षुणी मठ है और कई महिलाओं के समन्वय के साथ भिक्षु-भिक्षुणीयो की संख्या में बढ़ोतरी हो रही हैं और धीरे-धीरे लगातार समर्थन के रूप में लोग आते जा रहे हैं और साथ ही कई पारंपरिक रूप से बौद्ध देशों में तेजी आ रहे हैं, विशेष रूप से श्रीलंका आगे है।
थाईलैंड में भिक्षुणीयो के महत्वपूर्ण समुदायों, विशेष रूप से मजबूती से उभर कर सामने आ रही है।
आदरणीय धम्मानन्दा थेरी अब एक भिक्षुणी गुरू में नियुक्त किया गया है। यह वास्तव में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है । वरिष्ठ थेरवाद भिक्षुणी शिक्षकों को अब भिक्षुणी संघ के भविष्य की पीढ़ियों के लिए देखा जा रहा है।
थाईलैंड में भिक्षुणीयो के महत्वपूर्ण समुदायों, विशेष रूप से मजबूती से उभर कर सामने आ रही है।
आदरणीय धम्मानन्दा थेरी अब एक भिक्षुणी गुरू में नियुक्त किया गया है। यह वास्तव में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है । वरिष्ठ थेरवाद भिक्षुणी शिक्षकों को अब भिक्षुणी संघ के भविष्य की पीढ़ियों के लिए देखा जा रहा है।
बुद्ध धम्म में स्त्री समानता का प्रतिक भिक्षुणी संघ
जब तथागत कपिलवस्तु पधारे तो स्त्रियों का जत्था " संघ " में प्रविष्ट होने के लिए बहुत उत्सुक था, सभी स्त्रियों की अगुवाई कोई और नही बुद्ध की मौसी महाप्रजापति गौतमी कर रही थी।
गौतमी ने तथागत से धम्म-विनय के अनुसार प्रव्रजित होने की अनुमति देने का अनुरोध की फिर तथागत बुद्ध ने कहा कि उन्हें 8 शर्तें माननी होंगी। अगर 8 शर्तों को कड़ाई से मानने के लिए महाप्रजापति जिम्मेदारी ले ले तभी प्रव्रज्या होंगी।
महाप्रजापति को आनन्द थेर ने 8 नियम मानने की बात की जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार करके कहा कि " अपने जीवन में उनका कभी उलंघन नहीं करूंगी " विचार विमर्श काफी चिंतन के पश्चात धम्म प्रचार हेतु स्त्रियों के लिए यह ऐतिहासिक अधिकार मिल गया।
तब महाप्रजापति गौतमी के साथ-साथ 500 स्त्रियों ने भी प्रव्रज्या - उपसम्पदा ग्रहण की जो उनके साथ आयी तथागत ने सभी को धम्म और विनय की शिक्षा दी
महाप्रजापति गौतमी के साथ जिन स्त्रियों ने प्रव्रज्या ग्रहण की अर्थात जो भिक्खुनियां बनीं उनमें यशोधरा भी थीं। भिक्खुणी होने के बाद उनका नाम भद्दा कच्चाना ( भद्रा कात्यायना ) हुआ।
गौतमी ने तथागत से धम्म-विनय के अनुसार प्रव्रजित होने की अनुमति देने का अनुरोध की फिर तथागत बुद्ध ने कहा कि उन्हें 8 शर्तें माननी होंगी। अगर 8 शर्तों को कड़ाई से मानने के लिए महाप्रजापति जिम्मेदारी ले ले तभी प्रव्रज्या होंगी।
महाप्रजापति को आनन्द थेर ने 8 नियम मानने की बात की जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार करके कहा कि " अपने जीवन में उनका कभी उलंघन नहीं करूंगी " विचार विमर्श काफी चिंतन के पश्चात धम्म प्रचार हेतु स्त्रियों के लिए यह ऐतिहासिक अधिकार मिल गया।
तब महाप्रजापति गौतमी के साथ-साथ 500 स्त्रियों ने भी प्रव्रज्या - उपसम्पदा ग्रहण की जो उनके साथ आयी तथागत ने सभी को धम्म और विनय की शिक्षा दी
महाप्रजापति गौतमी के साथ जिन स्त्रियों ने प्रव्रज्या ग्रहण की अर्थात जो भिक्खुनियां बनीं उनमें यशोधरा भी थीं। भिक्खुणी होने के बाद उनका नाम भद्दा कच्चाना ( भद्रा कात्यायना ) हुआ।
आज 17 सितम्बर 2016 को दुनिया भर में हमारे भिक्षुणी संघ के 2600 साल की सालगिरह है,
आइए हम सभी इस दिवस को हर्ष एंव उत्सव के साथ मनायें।
आइए हम सभी इस दिवस को हर्ष एंव उत्सव के साथ मनायें।
लेखक: सहायक प्रोफेसर माला दास, राष्ट्रीय अध्यक्ष वी लव बाबासाहेब सोशल सोसायटी |
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