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मारना है तो मुझे मारो दलितों को नहीं- नरेन्द्र मोदी

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एक माह बीतने के बाद कथित दलितों की याद कैसे आई? यह प्रश्न हर भारतीयों के मन में होना चाहिए, यदि आपके पास वह मारपीट का वीडियो हो तो अभी एक बार फिर देखिये कैसे मोदी जी के गृह राज्य गुजरात में पुलिस थाना के सामने सरेआम निहत्ते, गरीब, युवको को अर्ध नग्न करके लोहे की राड से बेरहमी से एक बार नहीं बार बार मारा जा रहा था वह बेचारे युवक बंधे थे यह कथित गाय के बच्चे जिन्हें गौ रक्षक कहा जाता है वे गाय के चमड़े से बने हर वस्तु का उपयोग तो करते है, किन्तु उसी मरी गाय के चमड़ा निकालने पर इन्शानो को इस बेरहमी से मार रहे थे कि जैसे वे बेचारे मनुष्य नही है. यह दंड देने का प्रावधान किसने दिया? यह संस्कार किस धर्म ग्रन्थ ने दिए? सूअर भगवान का अवतार, गाय में तैतीस करोड़ देवी-देवता उसे माँ का दर्जा किन्तु इस संसार में अपने जैसे हाड़ मॉस के मनुष्य को पशु से बदत्तर किस धर्म ग्रन्थ ने सिखाया है और क्यों? बेचारे उन चार युवको को पुरे शहर मे बंधक बना कर क्यों अपमानित किया जा रहा था? आखिर उनका कसूर क्या था? सदियों से ब्राह्मणवादी व्यवस्था ने मजबूर किया है की वे मरे हुए पशु उठाये. जो गाय को अपनी माता बोलते है वे अपनी जिन्दा गाय को सडको, चौराहों, फुट्पातो में आवारा की तरह क्यों छोड़ देते है? उन्हें प्लास्टिक खाने पर क्यों मजबूर किया जाता है? देश भर की गौ शालाओ में क्यों हजारो गाये अकाल मृत हो रही है? कल समाचार प्राप्त हुआ की ५०० से ज्यादा गाय राजस्थान की गौ शाळा में मृत हो गई गाय के बेटो को उनकी असमायिक म्रत्यु पर दुःख क्यों नहीं हुआ? या जिनकी गलतियो-लापरवाहियो की वजह से वे गाये मृत हुई उन्हें किसी गौ रक्षक ने लोहे की राड से क्यों नहीं मारा? प्रश्न कई है इनका उतर कथित धर्म के ठेकेदार क्यों नहीं देते? इस देश का कानून धर्म है? यह देश धर्म ग्रंथो से चलता है या संविधान से? देश में हर प्राणी की सुरक्षा का दायित्व सरकार का है इसलिए तो पुलिस, फ़ौज, सुरक्षा गार्ड्स है फिर यह गौ रक्षक क्यों बन रहे है? मरने के बाद गायो की याद इन्हें क्यों आती है? गौ रक्षक गायो की वजाए कुत्ता क्यों पालते है? इस वीडियो को जब भी देखता हूँ तो इन कथित गौ रक्षको को इन्शान कहने में शर्म आती है क्या यही है धार्मिक होने का सबूत इतनी मर्दानगी है तो जाओ कश्मीर में लड़ो देश द्रोहियों से, करो दो-दो हाथ आतंकियों से आखिर तुम भी तो उन्ही की तरह आतंकी ही हो. रोज कोई न कोई खबर मिल रही है की कथित गाय के रखवालो ने बेकसूरों को अमानवीयता की हद लांघते हुए उन्हें मारा पिटा, आज कल तो पेशाब भी पिला रहे है. पेशाब पीना-पिलाने का यह जो शौक इजात किया है वह तुम सभी पर क्यों थोप रहे हो? तुम्हे पेशाब अच्छी लगती है तो सुबह-शाम रोज पियो अरे मै तो कहता हूँ की उसे रात में भोजन करने के बाद भी पीओ सुना है एक नेता जी जिनका नाम घोटाले में उछला था आज कल उनके अच्छे दिन आ गये है तो वे गडकरी जी से मंत्रीजी के नाम से ज्यादा जाने जाते है उन्होंने तो कहा है की वे रोज गाय का पेशाब पीते है उनका डायबिटीज भी ठीक हो गया है. ग्रंथो में तो शुद्धि की विधि गौ मूत्र बताई गई है. अब यह नई खोज मंत्री जी ने की है. अब आते है पीएम साहेब के प्रवचन पर जो उन्होंने दिल्ली में दिए वे देश को उपदेश देने वाले पीएम के नाम से इतिहास में दर्ज होंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गौ रक्षकों को असमाजिक तत्व घोषित कर दिया है.पीएम कहा कि 'मुझे इस बात पर गुस्सा आता है कि लोग गाय की रक्षा के नाम पर दुकान चला रहे हैं. उनमें से अधिकतर असामाजिक तत्व हैं जो गाय रक्षा के नाम पर चेहरा छिपाते हैं. मैं राज्य सरकारों से कहूंगा कि ऐसे लोगों पर दस्तावेज़ तैयार करें क्योंकि उनमें से 80 फीसदी असामाजिक गतिविधियों में संलिप्त पाए जाएंगे जिसे कोई भी समाज मान्यता नहीं देगा.' उन्होंने यह भी कहा कि अधिकतर गायें कत्ल नहीं की जातीं बल्कि पॉलिथिन खाने से मरती हैं. अगर ऐसे समाजसेवक प्लास्टिक फेंकना बंद कर दें तो गायों की बड़ी रक्षा होगी. गनीमत है कि प्रधानमंत्री ने उन्हें गौ गुंडा नहीं कहा क्योकि जब मै यही शब्द बोलता हूँ तो कई को बुरा लग जाता है चलिए पीएम ने गौ रक्षा के नाम पर उत्पात मचा रहे लोगों को सिरे से अपराधी घोषित कर दिया है. अभी तक ये लोग गौ रक्षा की आड़ में धर्म रक्षा और धर्म रक्षा की आड़ में राष्ट्र रक्षा का फर्जीवाड़ा कर रहे थे. एक गाय के नाम पर अख़लाक की निर्मम दिन दहाड़े हत्या और उसके बाद राजनीति हुई वह कितनी भयानक है. इस राजनीति का आधार यही था कि गाय के नाम पर कोई दलील नहीं है. कोई तर्क नहीं है. गाय के नाम पर जो हम कहेंगे वही सही है. दरअसल गाय का मुद्दा एक ऐसा मुद्दा था जिसके दम पर सभी को लग रहा था कि गाय का नाम लेते ही कोई कुछ नहीं बोलेगा. यह तो अखिल भारतीय धार्मिक आस्था है. शुक्रिया कहिये गुजरात के समाजिक परिवर्तन की क्रान्ति को आंदोलनकारियो ने मरी हुई गाय फेंक कर बता दिया कि जिनकी मां है वही अंतिम संस्कार करें. जिस तरह से गाय के नाम पर चार युवकों को मारा गया वह उस राजनीतिक चुप्पी की पराकाष्ठा थी जिसे एक तरह की विचारधारा के लोग शह दे रहे थे. प्रधानमंत्री के अनुसार अगर इनका दस्तावेज़ बने तो पता चलेगा कि कौन संघ परिवार से है और कौन दूसरे परिवार से है. पता चल ही जाना चाहिए. तरह तरह के जागरण और मंच नाम से बने इन संगठनों की दुकान का लाइसेंस नंबर अब वाकई देश के सामने रख देने का वक्त आ गया है. प्रधानमन्त्री जी ने जो भी कहा वह पिछले जुमलो की तरह भावनाओं में बहा कर उतरप्रदेश के चुनावों में नुकशान न हो इसलिए याद करिये लोकसभा में उन्होंने अपने आपको दलित का बेटा कहा था आप भावनाओं में बह गए थे और वोट अपना दुःख दर्द समझने वाले को दे बैठे इन्होने सिवाए बाबासाहेब आंबेडकर का नाम लेकर उनके छाया चित्रों की पूजा के अतिरिक्त कुछ नही किया है आई आई टी मद्रास में अम्बेडकर-पेरियार संगठन पर बैन इन्ही की सरकार ने लगाये दबाव बढने के कारण उसे वापस हटाया? रोहित वेमुला की संस्थागत हत्या के जिम्मेदार वीसी, बंगारू दात्रे, स्मृति ईरानी पर अभी तक कोई कार्यवाही क्यों नही हुई? बाबासाहेब अम्बेडकर की यादो का भवन जो मुम्बई में स्थित था उसे आधी रात में क्यों ध्वस्त किया गया? याद है आपको लखनऊ में इन्होने छात्रों के बिच रोहित वेमुला का जिक्र भी लगभग एक माह के बाद ही किया था आखिर परिणाम क्या हुआ हमनें एक सच्चा अम्बेडकरवादी खोया. दिल्ली में रोहित के परिवार को न्याय दिलाने पर हुए आन्दोलन पर लडकियों के साथ पुलिस की मौजूदगी में गुंडागर्दी हुई वह पुरे देश ने देखा ऐसा बर्बर रूप सरकार बिना संरक्षण से सम्भव हो सकता है. बीजेपी के नेता आये दिन हमे गालिया देते है, आरक्षण को कोसते है? यदि पीएम साहेब दलित है तो उन्हें कष्ट क्यों नही होता उनके राज में यह अन्याय-अत्याचार क्यों हो रहा है? गुजरात काण्ड एंव मायावती जी पर की गई अभद्र टिप्पणी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में गुंडागर्दी करने वाले बीजेपी के कार्यकर्ताओं का यह दुसाहस कैसे बढ़ा? उन्होंने मिडिया के सामने सरेआम जाति सूचक गालियाँ क्यों दी किसके इशारे पर दी? पीएम और आर एस एस गुजरात आन्दोलन भयभीत है उन्हें सत्ता से ज्यादा डर हिन्दू धर्म के शुद्रो से है आखिर इन्होने धर्म ग्रंथो में लिखी बाते मानने से इनकार कैसे कर दिया? अब मरी हुई गायो को कौन उठाएगा? हमारी शाखाओ में चड्डी पहन कर कौन आयेंगे? अंत में पीएम साहेब से एक सवाल यदि आपको ज्ञात है की ८०% गौ रक्षक असमाजिक तत्व अर्थात गुंडे है तो उन्हें अभी तक खुली छुट क्यों मिली है तुरंत प्रतिबन्ध क्यों नही? आप के नेता, मंत्री हमारी माँ- बहनों को वैश्य क्यों बोलते है? आप सभी भारतीयों से अपील है की बीजेपी देश में धर्म, जाति के नाम से नफरत की राजनीति करने के लिए रोज नये-नये फंडे लाएगी हमे जागरूक रहना है यह एकता-चेतना जो रोहित आन्दोलन से शुरू हुई है और गुजरात से क्रान्ति की नई मिसाल बन गई है इसे कायम रिखियेगा अफवाहों में न आइयेगा.
लेखक: सुरेश पासवान, राष्ट्रीय महासचिव वी लव बाबासाहेब आईटी एंव सोशल मिडिया संगठन
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