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तुमने मूर्तियां तोड़ी मैं फिर भी खड़ा हूं, देखो नफरत मैं तुमसे कितना बड़ा हूं।

डायनामाइट का धर्मशास्त्र

तुमने मूर्तियां तोड़ी मैं फिर भी खड़ा हूं,
देखो नफरत मैं तुमसे कितना बड़ा हूं।
हमारी मूर्तियों को तोड़ना
तुम्हारी चिढ़ नहीं हताशा है
कि हमारे विचार कहीं तुम्हारे
धर्माधारित धंधे को चौपट न कर दे।

तुम हमारी मूर्तियां तोड़ते हो क्योंकि
हम अपने खून पसीने की मोल का
पाई-पाई हिसाब मांगते हैं,
क्योंकि हम उन धर्मशास्त्रों को धिक्कारते हैं,
जो हमारे कान में
पिघला शीशा डालना जायज ठहराता है,
जो हमारे जिह्वा को
काट देना दैवीय आदेश बताता है।
हम किसी के खिलाफ नहीं, बिल्कुल नहीं
लेकिन जो धर्मशास्त्र हमें अपमानित करे,
हमारे स्वाभिमान के साथ खेल खेले
हम उन धर्म शास्त्रों को विषवृक्ष ठहराते हैं।

तुम्हें डर है इसी बात से कि कहीं
तुम्हारी हराम की कमाई हमारे हिस्से न आए,
कहीं धन धरती का बंटवारा न हो जाए।
तुम्हारी हैसियत नाजायज है,
अतः तुम्हारा डर जायज है।
खैर तुम तोड़ते रहो हमारी विरासत को
और हम पुनः दर पुनः सृजित करते रहेंगे।
हम केवल एक मूर्ति नहीं हैं,
एक विद्रोह हैं जो इन शोषक धर्मशास्त्रों में
डायनामाइट लगाने को प्रतिबद्ध हैं।

- सूरज कुमार बौद्ध
(रचनाकार भारतीय मूलनिवासी संगठन के राष्ट्रीय महासचिव हैं।)

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