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जो कौम अपना इतिहास नहीं जानती वह कौम कभी इतिहास नहीं बना सकती।

संघर्ष का दौर शुरू हो चुका है..

हमारे मौजूदा हालात और ऐशो-आराम की जिंदगी बुद्ध, कबीर, फूले, रैदास,  अंबेडकर जैसे बहुजन महापुरुषों द्वारा समतावादी व्यवस्था की स्थापना हेतु सदियों से किए जा रहे संघर्षों का परिणाम है।
भारत में वर्णवाद के आधार फैली हुई मनुवादी विचारधारा की समाप्ति कर मानवीय संवेदनाओ से परिपूर्ण समतावादी समाज निर्माण की बुनियाद तथागत बुद्ध द्वारा रखी गई थी। जिसे समय-समय पर विभिन्न महापुरुषों द्वारा संभाला गया । हमारे स्वाभिमान सम्मान में मानवीय अधिकारों की रक्षा के लिए अनेकों बहुजन महापुरुषों ने अपना सर्वस्व न्योछावर किया। तब कहीं जाकर आज हम इस भारत से आजादी से सांस ले रहे हैं । बाबा साहब अपने भाषणों में अक्सर कहा करते थे कि जो कौम अपना इतिहास नहीं जानती वह कौम कभी इतिहास नहीं बना सकती। इस कथन के पीछे बाबा साहेब की यह सोच थी कि सदियों से शोषित , पीड़ित यह बहुजन समाज अपने पुरखों के सामर्थ हुआ बहादुरी के गौरवशाली इतिहास से प्रेरणा लेकर निर्भय होकर अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करें । क्योंकि जिन वर्गों ने सदियों तक तुम्हारे पूर्वजों को गुलाम बनाए रखा वह कभी नहीं चाहेंगे कि तुम उनकी बराबरी करो। उनसे अपने अधिकारों की मांग करो। ऐसे में वह तुम्हें डराएंगे धमकाएँगे और फिर से अपना गुलाम बनाएंगे। मौजूदा समय में इस मनसा को पूर्ण करने के लिए आज भी जातिवादी मानसिकता से ग्रसित लोग धर्म या मजहब के नाम पर जातीय हिंसा  को अंजाम दे रहे है।पिछले एक दशक में सूचना क्रांति के बढ़ते प्रभाव ने शोषित, पीड़ित ,वंचित, बहुजन समाज को मानसिक रुप से काफी शक्तिशाली कर दिया है। परिणाम स्वरुप यह वर्ग आज अपने आपको सामाजिक व राजनीतिक रुप से स्थापित करने में लगा हुआ है । किंतु आज भारत में मौजूद वर्ण व्यवस्था के समर्थकों को आज भी बहुजन वर्ग की तरक्की बर्दाश्त नही है और वह इनके प्रकार से इस वर्ग को दबाने का प्रयास करते हैं । किंतु फिर भी बात नहीं बनती तो हिंसक रूप अख्तियार कर भीमा-कोरेगांव ,सहारनपुर , कानपुर  और इलाहाबाद जैसी क्रूरतम घटनाओं को अंजाम देते हैं । बाबा साहब ने हमारे वर्ग की तरक्की के लिए तीन प्रमुख मूल मंत्र दिए हैं -

(शिक्षित रहो, संगठित रहो, संघर्ष करो) क्योंकि सैकड़ों वर्षो से दीनहीन बहुजन समाज आजाद भारत में तब तक अपने आप को स्थापित नहीं कर सकेगा जब तक वह मानसिक व आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हो जाता । इसलिए उन्होंने कहा शिक्षित बनो और संविधान लागू होने से आज तक बहुजन समाज में शिक्षा के क्षेत्र में काफी तरक्की कि जिस समाज में कुछ वर्षों तक गिने चुने लोग शिक्षा ग्रहण कर पाते थे। उसी समाज में आज लाखो डॉक्टर, इंजीनियर, बैरिस्टर और कलेक्टर हो रहे हैं । शिक्षा की बदौलत उपजे ज्ञान ने इस समाज को अपने अधिकारों के प्रति सजग किया। और अपने अधिकारों की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त किया । बाबा साहेब की इस पहली बात में रोटी ,कपड़े के लिए तरसने वाले इस वर्ग को आज आर्थिक व मानसिक रुप से सफल बना दिया है। फिर यह वर्ग

बाबा साहेब की दूसरी बात- संगठित रहो का अनुसरण करने लगा। क्योंकि मानसिक रुप से सफल व आर्थिक रूप से सक्षम संगठन काफी मजबूत होता है । बाबासाहेब ने संगठन के माध्यम से अपने वर्ग के दबे, कुचले लोगों को विकास और उत्थान के लिए प्रयत्न करने की बात कही थी। बाबासाहेब कि इस सोच को सार्थक करने की मंशा से बने संगठनों ने समाज के शैक्षणिक, आर्थिक व सामाजिक विकास में अभूतपूर्व योगदान दिया। परिणाम स्वरूप गुलामी की बेड़ियों से जकड़ा यह बहुजन समाज आज देश में राज करने का दम भर रहा है ।

 बहुजनों का यह मिशन अधिकार प्राप्ति तक तो ठीक था किंतु शासन प्रशासन में भागीदारी की मांग ने वर्णवादी वा संविधान विरोधी तबके को इस वर्ग का जानी दुश्मन बना दिया है। अभी तक जो लड़ाई भेदभाव  व असंवैधानिक क्रियाओं को अंजाम देकर लड़ी जा रही थी वह लड़ाई अब सड़कों पर आ गई है क्योंकि गुपचुप तरीके से किए जा रहे शोषण का विरोध बहुजन समाज खुलकर करने लगा है। इसलिए हम यह लड़ाई आमने-सामने की हो गई है। विरोधी वर्ग कत्लेआम कर इस वर्ग को दबाना चाह रहा है वही बहुजन वर्ग इसका  डटकर मुकाबला कर रहा है । मौत का यह खेल विगत कुछ वर्षों से निरंतर जारी है ऐसे में

अब बहुजन वर्ग को बाबासाहेब के तीसरे मूल मंत्र संघर्ष करो को अंगीकृत करना होगा। क्योंकि बाबा साहब को पता था कि शिक्षित और संगठित वर्ग की संपन्नता विरोधी वर्ग को कभी हजम नहीं होगी और ऐसा हो भी रहा है प्रमोशन में आरक्षण समाप्त करके विरोधी वर्ग समाज के शिक्षित वर्ग को टारगेट कर रहा है। आरक्षण समाप्ति वां संविधान संशोधन की बात कर समाज के निचले, तबके को कमजोर बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं और राजनीतिक प्रलोभनों के द्वारा समाज के संगठनों में बिखराव पैदा कर रहे हैं।

इन सब का मुकाबला करने के लिए अब हमें भी मतभेद भुलाकर बाबा साहेब द्वारा कही तीसरी बात संघर्ष करो पर अमल करना होगा क्योंकि संघर्ष आज का दौर शुरू हो चुका है और हमारा संघर्ष तभी सफल होगा जब हम संगठित होकर संघर्ष करेंगे।

उदय कुमार गौतम
जिला महासचिव महासचिव फैज़ाबाद
भारतीय मूलनिवासी संगठन

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