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अनुसूचित जाति के लोगों को क्या आपत्ति होनी चाहिए कि महाराणा प्रताप की जयंती 'ठाकुर' नहीं मनाएं?

अनुसूचित जाति के लोगों को क्या आपत्ति होनी चाहिए कि महाराणा प्रताप की जयंती 'ठाकुर' नहीं मनाएं?

 ठाकुरों को उनकी जयंती धूमधाम से मनानी चाहिए क्योंकि महाराणा उनकी अस्मिता के प्रतीक है. इतिहास में जब तमाम राजपूत राज मुग़लो को सरेंडर कर रहे थे तब महाराणा ने लड़ने का फैसला किया.

एक योद्धा के नाते उनका सम्मान केवल ठाकुरों को ही क्यों करना चाहिए.? जो आजादी से प्यार करने वाला समाज है उन सभी के लिए प्रताप प्रेरणास्रोत है फिर चाहे वह मुस्लिम हो या ब्राह्मण, पिछड़ा हो या अगड़ा.

 यही बात बाबासाहेब अम्बेडकर के सन्दर्भ में कही जाए तो वे देश के संविधान निर्माता और समानता की लड़ाई के चैंपियन थे. पूरा देश उनसे प्यार करता है.
आम राजपूत जिसका 'सामन्त' शोषण करते थे बाबासाहेब अम्बेडकर ने उस शोषण के विरुद्ध बिगुल बजाकर संविधान में व्यक्तिगत स्वतंत्रता को प्रस्थापित किया जो मानव समुदाय की प्रगति की सबसे बुनियादी जरूरत है.

तो भला ठाकुर समुदाय उनसे नफरत क्यों करेगा? क्या उन्हें याद नहीं कि 'सिरोही' के महाराजा ने उन्हें डेल्ही में बहुत बड़ा घर रहने को दिया था.
फिर उत्तरप्रदेश में वे कौन लोग है जो अनुसूचित जाति बनाम ठाकुरों की लड़ाई लगवाकर 'ठाकुरों' को अपना सेफ्टी वॉल्व बनाना चाहते है?

भारत बिलवाल की Fb पोस्ट से सभार




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