महापुरुषों का स्मृति दिवस, जन्म दिवस औपचारिक रूप से नही मनाया जायेगा-क्रांतिकारी भीम सैनिक
छिंदवाड़ा, म.प्र: गुरु रविदास मंदिर धाम मे बाबासाहेब अम्बेडकर जी का महापरिनिर्वाण दिवस संकल्प दिवस के रूप में स्मरण किया गया।
कार्तिक डोले, जिला उपाध्यक्ष वी लव बाबासाहेब सोशल सोसायटी द्वारा विगत एक माह से गरीब बच्चों को निःशुल्क कोचिंग की सुविधा प्रदान की जा रही है इस कार्य में समय-समय पर संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारी शिवा मण्डराह, नीरज अहिरवार व अन्य साथी मार्गदर्शन देते है।
संगठन द्वारा शिक्षा को मिशन के रूप में अपनाया गया है विगत माह वी लव बाबासाहेब, जय भीम सेना द्वारा सयुक्तरूप एक दिवसीय कार्यशाला सम्पन्न हुई थी जिसमे संगठन के राष्ट्रीय महासचिव सुरेश पासवान, प्रदेश अध्यक्ष अधिवक्ता राकेश महाले, प्रदेश महासचिव गुरुप्रसाद सूर्यवंशी की उपस्थिति में महापुरुषों के क्रांतिकारी विचारों पर मन्थन हुआ तद्पश्चात यह निर्णय लिया गया की शिक्षा को ही हमे परिवर्तन का माध्यम बनाना होगा, मुम्बई में इस मिशन पर लगभग 5 वर्ष कार्य कर चुके विनोद धनराज ने बहुत ही सूक्ष्मता से प्रकाश डाला था सभी ने एक स्वर में उनके सुझावों पर अमल करने का फैसला लिया था।
कल जब पूरी दूनियाँ बाबासाहेब अम्बेडकर जी को याद कर रही थी तब छिन्दवाड़ा, मध्यप्रदेश के भीम सैनिक यह चिंतन करने में व्यस्त थे की आखिर बाबासाहेब के जाने के बाद "वैचारिक क्रांति, समाजिक क्रांति, सांस्कृतिक क्रांति, आर्थिक क्रांति, एंव राजनैतिक क्रांति का चक्र क्यों थम गया है?" इस पर गहन विचार-विमर्श के बाद यह फैसला लिया गया की बाबासाहेब या अन्य महापुरुषों का स्मृति दिवस, जन्म दिवस औपचारिक रूप से नही मनाया जायेगा बल्कि हमारे महापुरुषों के किए गए संघर्षो से प्रेरणा लेकर उस पर अमल किया जाये क्योंकि शर्म-दुःख की बात है जिस महापुरुष को दुनिया ज्ञान का प्रतिक मानती है उसी के स्मृति दिन पर इक्का-दुक्का लोग एकत्रित हो पाते है जबकि भारत के सभी वर्गो के हितों के लिए महापुरुषों ने अपना सर्वशः त्याग दिया था।
किन्तु अब यह नही होगा मानसिक गुलामी की दास्ताँ अब खत्म होगी इसकी घोषणा गई।
कोचिंग में पढ़ने वाले बच्चों के साथ कार्तिक डोले व साथियों ने कल बाबासाहेब को नमन किया। |
संगठन द्वारा शिक्षा को मिशन के रूप में अपनाया गया है विगत माह वी लव बाबासाहेब, जय भीम सेना द्वारा सयुक्तरूप एक दिवसीय कार्यशाला सम्पन्न हुई थी जिसमे संगठन के राष्ट्रीय महासचिव सुरेश पासवान, प्रदेश अध्यक्ष अधिवक्ता राकेश महाले, प्रदेश महासचिव गुरुप्रसाद सूर्यवंशी की उपस्थिति में महापुरुषों के क्रांतिकारी विचारों पर मन्थन हुआ तद्पश्चात यह निर्णय लिया गया की शिक्षा को ही हमे परिवर्तन का माध्यम बनाना होगा, मुम्बई में इस मिशन पर लगभग 5 वर्ष कार्य कर चुके विनोद धनराज ने बहुत ही सूक्ष्मता से प्रकाश डाला था सभी ने एक स्वर में उनके सुझावों पर अमल करने का फैसला लिया था।
कल जब पूरी दूनियाँ बाबासाहेब अम्बेडकर जी को याद कर रही थी तब छिन्दवाड़ा, मध्यप्रदेश के भीम सैनिक यह चिंतन करने में व्यस्त थे की आखिर बाबासाहेब के जाने के बाद "वैचारिक क्रांति, समाजिक क्रांति, सांस्कृतिक क्रांति, आर्थिक क्रांति, एंव राजनैतिक क्रांति का चक्र क्यों थम गया है?" इस पर गहन विचार-विमर्श के बाद यह फैसला लिया गया की बाबासाहेब या अन्य महापुरुषों का स्मृति दिवस, जन्म दिवस औपचारिक रूप से नही मनाया जायेगा बल्कि हमारे महापुरुषों के किए गए संघर्षो से प्रेरणा लेकर उस पर अमल किया जाये क्योंकि शर्म-दुःख की बात है जिस महापुरुष को दुनिया ज्ञान का प्रतिक मानती है उसी के स्मृति दिन पर इक्का-दुक्का लोग एकत्रित हो पाते है जबकि भारत के सभी वर्गो के हितों के लिए महापुरुषों ने अपना सर्वशः त्याग दिया था।
किन्तु अब यह नही होगा मानसिक गुलामी की दास्ताँ अब खत्म होगी इसकी घोषणा गई।
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