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जिग्नेश मेवानी ने कांशीराम द्वारा स्थापित मिथक / भ्रमजाल को तोड़ा ?

बिना बसपा के कोई नेता नही बन सकता, ऐसा मिथक बहुजन मसीहा ने रचा था जिस कारण से युवा नेत्तुत्व उभर नही पा रहा था | चाटुकार और पैसे वाले टिकटे खरीदकर अपना और अपने बच्चों का भविष्य चमका रहे थे और आंबेडकरवादी युवा सडक पर जुते खा रहा था! इस मकडजले मे पुरा मिशन उलझकर रह गया!

जिग्नेश की जीत से आज पूरे भारत के दबे कुचले युवाओ मे एक विश्वास निर्माण हुआ है कि हम भी समाज का नेत्तुत्व कर सकते है! खासकर वो युवा जो कांग्रेस भाजपा मे अपना भविष्य तलाश रहे थे उन्हे भी अपने बल पर कुछ करने का हौसला बढा है |

मगर जिग्नेश की जीत से मुवमेंट के पुराने सामंतो के पेट मे दर्द शुरू हो गया है! बसपा और बामसेफी जिस तरह से एक निर्दलीय विधायक पर हमला कर रहे है उससे उल्टा इनकी ही जग हसाई हो रही है! दुसरे धर्म और समुदाय के लोग इन स्थापित सामंतो की भीखमंगी हरकतो को देखकर मुस्कुरा रहे है |

बसपा और बामसेफी जिग्नेश का विरोध क्यो कर रहे है? वो ऐसा है इनके यहा जो युवा है वो सवाल कर रहे है, जब एक अकेला जिग्नेश जीत सकता है तो तुम्हारे इतने बडे संगठन मिलकर एक सीट नही जीत सकते! इसलिए मेवानी को टारगेट करके अपने कैलंडरो के मन मे उठते सवालो को दुसरी दिशा मे मोड रहे है | पापी पेट का सवाल है और इन सबसे इन सामंतो के धंधे पर फर्क पडता है |

मुझे गर्व है कि महाराष्ट्र के नेताओ ने जिग्नेश को सपोर्ट किया जिसमे बाबासाहेब के पौत्र प्रकाश आंबेडकर, कवाडे सर, सुरेश माने और अन्य नेताओ ने भी सर्मथन दिया है! वैसे महाराष्ट्र के लोग बाबासाहेब की दी गई जिम्मेदारी से खुश है! इसलिए दुनिया मे कोई भी समाज हित मे संघर्ष करेगा उसे हमारा सर्मथन होगा ही! चंद्रशेखर आजाद के लिए उतर प्रदेश के लोग सडक पर नही उतरा पर महाराष्ट्र के लोग भीम आर्मी के सर्मथन मे सडक पर उतरे ! पहलै कांशीराम की मदद की अब बारी जिग्नेश की है |

एक कॉलेज मे ग्रुप डिस्कशन मे वामपंथी मित्र कह रहे थे जय भीम वाले चिढाते है " लाल भगवा एक है, सारे कामरेड फेक है " !इसपर जिग्नेश ने कहा, मायावती ने मोदी का प्रचार किया इस कारण से निला - भगवा एक है , सारे बहुजन फेक है : जैसे नारे  नही लग सकते !

रही बात जिग्नेश की तो उसने कभी कहा नही कि वो आंबेडकरवादी है | रोहित वेमुला और हैदराबाद के अन्य साथियों पर वामपंथी विचार हावी थे वैसे ही जिग्नेश के भी हो सकते है! दुसरी बात वो खुद को दलित कहलाना पसंद करता है पर सभी जानते है खुद को दलित कहलाने वाला कभी आंबेडकरवादी नही हो सकता!

- चेतन तांबे, समाजिक कार्यकर्ता एंव अम्बेडकरवादी विचारक

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