तुम सवाल से डरते हो,हमें मौत से डर नहीं। तुम बवाल करते हो...
कलमकारों के क़त्ल पर रूह कुरेदती सूरज कुमार बौद्ध की कविता - कलम की आवाज़
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नरेंद्र दाभोलकर, कलबुर्गी, पनसारे,....... और अब गौरी लंकेश। आए दिन अनेक लेखकों, पत्रकारों, कलमकारों को मौत की घाट उतार दिया गया। इन बेबाक आवाजों का गुनाह सिर्फ इतना है कि ये साम्प्रदायिक मानसिकता एवं फ़ासीवाद के खिलाफ लिखा करते थे। आखिर सवाल से इतनी बौखलाहट? सवाल से इतनी झल्लाहट? जम्हूरियत को बंदूक के नोक पर टिकाए यह शासक वर्ग कब तक पाबंदी लगाएगा? कितनों को मारेगा? जब तक एक भी कलम बचा रहेगा तब तक कलमकारों की बेबाकी यूँ ही जारी रहेगी। आइए पढ़ते हैं सामाजिक क्रांतिकारी चिंतक सूरज कुमार बौद्ध द्वारा लिखी गई इन्ही संवेदनाओं को छूती हुई मार्मिक कविता - कलम की आवाज !
क़लमकारों के कलम की आवाज़
हुक्मरानों के नग्न ज़ुल्मीयत को
बहुत बेबाकी से बयां करती है।
क्या यही वजह है मेरे क़त्ल की ?
हुक्मरानों के नग्न ज़ुल्मीयत को
बहुत बेबाकी से बयां करती है।
क्या यही वजह है मेरे क़त्ल की ?
तुम सवाल से डरते हो,
हमें मौत से डर नहीं।
तुम बवाल करते हो,
हमें बवाल से डर नहीं।
तुम कहते हो मत बोलो,
हम कहते हैं सच बोलो
क्या यही वजह है इस हलचल की?
क्या यही वजह है मेरे क़त्ल की ?
हमें मौत से डर नहीं।
तुम बवाल करते हो,
हमें बवाल से डर नहीं।
तुम कहते हो मत बोलो,
हम कहते हैं सच बोलो
क्या यही वजह है इस हलचल की?
क्या यही वजह है मेरे क़त्ल की ?
आंसुओं के समंदर में
कुछ अय्यासी की मीनारें
खड़ी करके हमारी खुशहाली तय करते हो?
औसत से यूँ मेरी बदहाली तय करते हो?
तुम्हारे अच्छे दिन पर हम सवाल कर लिए
क्या यही वजह है इस जलन की?
क्या यही वजह है मेरे क़त्ल की ?
कुछ अय्यासी की मीनारें
खड़ी करके हमारी खुशहाली तय करते हो?
औसत से यूँ मेरी बदहाली तय करते हो?
तुम्हारे अच्छे दिन पर हम सवाल कर लिए
क्या यही वजह है इस जलन की?
क्या यही वजह है मेरे क़त्ल की ?
कलम रेह की मिट्टी सी नहीं होती,
जिंदा लाश बन चुप्पी सी नहीं होती,
हम सवाल करते हैं
तुम कत्ल करते हो
जरा बताओ कौन जिंदादिल है,
जरा बताओ कौन बुदजील है।
कुछ सवालों से तिलमिलाकर,
त्रिशूल तलवार उठा लिए?
क्या यही वजह है इस पहल की?
क्या यही वजह है मेरे क़त्ल की ?
जिंदा लाश बन चुप्पी सी नहीं होती,
हम सवाल करते हैं
तुम कत्ल करते हो
जरा बताओ कौन जिंदादिल है,
जरा बताओ कौन बुदजील है।
कुछ सवालों से तिलमिलाकर,
त्रिशूल तलवार उठा लिए?
क्या यही वजह है इस पहल की?
क्या यही वजह है मेरे क़त्ल की ?
- सूरज कुमार बौद्ध,
(रचनाकार भारतीय मूलनिवासी संगठन के राष्ट्रीय महासचिव हैं।)
All indian Muslims supports you sir you move forward dont look back you will definitely achieve your success#abhisar sharma # ravish Kumar
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