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यह कड़वा सच है जिसे भारत की हर नारी पढ़े।


19 वी सदी में फुले दम्पत्ति ने स्त्री स्वतन्त्रता के लिए इसलिए संघर्ष किया की आज की शिक्षित महिलाएँ लिपस्टिक, महँगी-महँगी साड़ी पहन कर इस महान दम्पत्ति के आदर्शो को भूल गईं?
धिक्कार है हम पर !
जिस फूले दंपति ने समाज से अंधविश्वास मिटाने के लिए अपना घर परिवार और नाते रिशतेदार सब त्याग दिये और अपनी अंतिम सांस तक हिन्दू अंधविश्वास , रूढिवादी सोच , स्त्रीशिक्षा , बाह्मणवाद को मिटाने काम करते रहे , हमारे उन्हीं " एलीट" घरों की महिलाएं इक्सवीं सदी और संचार क्रांति के युग में आकंठ अंधविश्वास में डूबी हैं ।
यह कड़वा सच है जिसे भारत की हर नारी पढ़े।
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